‘Mayasabha-The Rise of Titans’ डायरेक्टर देवा कट्टा की नई वेब सीरीज़ है, जो खुलकर तो नहीं, लेकिन ढीले-ढाले तरीके से आंध्र प्रदेश के दिग्गज नेताओं चंद्रबाबू नायडू और वाई.एस. राजशेखर रेड्डी (YSR) से प्रेरित नजर आती है।
वैसे ये स्टाइल नया नहीं है। 2011 में राम गोपाल वर्मा की Bejawada Rowdeelu (बाद में Bejawada) भी कुछ इसी तरह बनाई गई थी, जिसमें वंगवेती रंगा और देविनेनी नेहरू जैसे किरदारों की झलक साफ थी। बाद में उन्होंने Vangaveeti जैसी डायरेक्ट बायोपिक भी बनाई थी।
कहानी में पॉलिटिक्स + ड्रामा + पर्सनल ट्विस्ट
‘Mayasabha’ कुल 9 एपिसोड्स की सीरीज़ है, जिसकी शुरुआत एक पावरफुल सीन से होती है—आश्रम होटल (Viceroy Hotel का रेफरेंस)।
यहां तीन अहम किरदार सामने आते हैं:
RCR (NTR से प्रेरित)
KKN (आधी पिनिसेट्टी, CBN जैसा अंदाज़)
MSR (चैतन्या राव, YSR का लुक और बॉडी लैंग्वेज)
सीरीज़ में दिखाया गया है कि अलग पृष्ठभूमि से आए दो लोग कैसे एक विचारधारा के तहत जुड़ते हैं और राजनीति में कदम रखते हैं। लेकिन बीच-बीच में कुछ सीन थोड़े अजीब भी लगते हैं—जैसे MSR का KKN की शादी RCR की बेटी से करवाना और उसे पार्टी में एंट्री दिलाना।
कास्ट पॉलिटिक्स पर सीधा वार
देवा कट्टा ने आंध्र प्रदेश की कास्ट पॉलिटिक्स को बिना घुमाए दिखाया है—खासकर कम्मा और रेड्डी समुदाय की टक्कर। साथ ही विजयवाड़ा का राजनीतिक माहौल भी बखूबी पेश किया है।
राजनीति में रुचि रखने वालों के लिए इसमें कई ‘क्लेवरे’ रेफरेंस हैं—जैसे KCR जैसे दिखने वाला किरदार या वंगवेती रंगा और परिताला रवि के संकेत।
परफॉर्मेंस और टेक्निकल डिपार्टमेंट
आधी पिनिसेट्टी ने KKN के रूप में नैचुरल एक्टिंग दी है।
चैतन्या राव ने MSR के रूप में YSR का अंदाज़ बखूबी पकड़ा।
साई कुमार, नासर, दिव्या दत्ता और बाकी सपोर्टिंग कास्ट भी मजबूत हैं।
सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन शानदार है, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक में थोड़ी कमी महसूस होती है। स्क्रिप्ट और डायलॉग्स सीरीज़ की असली जान हैं।
कुछ सवाल जो अब भी खटकते हैं
सीरीज़ देखने के बाद कुछ बातें दिमाग में घूमती रहती हैं—
YSR जैसे दिखने वाले किरदार को NTR का कट्टर फैन क्यों दिखाया गया?
क्यों एक किरदार अपने ही परिवार को “शंकरा जाति कोंपा” जैसे अपमानजनक शब्द से पुकारता है?
CBN जैसे किरदार के साथ भागने वाली ‘रिकॉर्डिंग डांसर’ असल में कौन थी? क्या ये सच है या पूरी तरह काल्पनिक?
फाइनल वर्डिक्ट
‘Mayasabha’ उन दर्शकों के लिए ज्यादा दिलचस्प है जिन्हें आंध्र प्रदेश की राजनीति की अच्छी समझ है। फिक्शन और रियलिटी का मिक्स इसे देखने लायक बनाता है, लेकिन आपको लगातार सोचना पड़ेगा—ये असल है या बस कहानी का तड़का?
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